भारत और ऊर्जा विकास चुनौतियां

भारत एक उभरता हुआ देश है जिस को स्वयं के विकास के लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता है भारत की बढ़ती जनसंख्या भारत के विकास के लिए एक अहम भूमिका निभा सकती है परंतु यह इसके समक्ष एक चुनौती के रूप में भी खड़ी हो सकती है वर्तमान में ऊर्जा के समक्ष जनसंख्या कुछ हद तक प्रभावी देखने को मिल रही है भारत में ऊर्जा 60% से अधिक कोयले से मिलती है 2 परसेंट से कम ऊर्जा हमें तेल से मिलती है एक परसेंट से कम हमें परमाणु ऊर्जा से मिलती हैं तथा देश में नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान 14% से अधिक है



भारत में क्यों होती है उर्जा महंगी
जनसंख्या का अधिक अधिक तेजी से 

सप्लाई चैन की दक्षता में कमी

देश में खपत अधिक होना

हमारे देश में उत्पादन का स्तर धीरे-धीरे बढ़ना उपयुक्त  


मांगों को वर्तमान समय में पूरा करने में चुनौती से जूझना

संरचनात्मक की कमजोरी

अधिक मात्रा में बाहर से ऊर्जा का आयात  करना जैसे पेट्रोल 

क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की कमजोर भूमिका यह भी एक कारण है

देश में ट्रांसपोर्टेशन की कॉस्ट अधिक आना तथा डिफाइन भी कॉस्ट अधिक होना

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा के रेटों में वृद्धि होना

कैसे बना सकते हैं भारत को ऊर्जा दक्षता में सक्षम
देश में अब संरचनात्मक विकास कर ,तकनीक का सहारा लेकर ,तथा जनसंख्या को नियंत्रित करके ,हम अपने ऊर्जा के मध्य पैदा डिमांड और सप्लाई के मध्य पैदा होने में लगे आप को कम कर सकते हैं
हम सब की भी जिम्मेदारी बनती है कि देश की ऊर्जा के उपभोग को दक्षता के साथ प्रयोग करें 
क्षेत्र में पीपीपी मॉडल के तहत भारत ऊर्जा दक्षता में सक्षम हो सकता है जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा सोलर पैनल, हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी , बैटरी निर्माण , सौर ऊर्जा , सीएनजी उत्पादन में ,एलएनजी के क्षेत्र , green energy पवन ऊर्जा ,ज्वार ऊर्जा , भूतापीय ऊर्जा, इन सभी मे यह क्षेत्र अपनी निर्णायक भूमिका निभाकर भारत के विकास में अहम भूमिका निभा सकता है







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